— स्वामी रामानंद
तपस्थली दिगोली
पूज्य गुरुदेव चितई में एक मंदिर में ठहरे हुए थे। दो तीन किशोरावस्था के लड़के पानी पीने के लिए मंदिर में आए। उन लोगों ने इस युवक सन्यासी को प्रणाम किया। प्रश्न हुआ पानी पियोगे? लड़के आश्चर्यचकित कि इन्हें कैसे मालूम हुआ कि हम पानी पीने आए हैं? खैर, बैठे, बातचीत हुई और लड़कों ने इन्हें अपने गॉंव दिगोली आने का निमंत्रण दे दिया। गुरुदेव ने कहा ठीक है परसों चलेंगे।
अब एक दिन बाद वह किशोर स्वामी जी को दिगोली के लिए लेकर चल पड़े। परंतु उनके लिए समस्या थी कि क्या गाँव के बुजुर्गवार इस युवक सन्यासी को स्वीकार करेंगे? उन लोगों ने पुरानी धर्मशाला में चीड़ की पत्तियां बिछाकर स्वामी जी का बिस्तर तैयार कर दिया। स्वामी जी भोजन तो एक समय ही खाते थे वह भी बहुत काम। लड़कों ने उसकी भी व्यवस्था कर दी।
जब बुजुर्ग लोग स्वामी जी से मिले तो बहुत प्रभावित हुए और उनसे निवेदन किया कि नवरात्रों में आप रामायण की कथा कीजिए जिसे स्वामी जी ने स्वीकार किया। कथा के साथ-साथ स्वामी जी की साधना भी अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँच रही थी। कुछ दिन बाद कथा समाप्त होने पर लोग इन्हें जाने नहीं देना चाहते थे सो श्रीमद्भागवत की कथा करने का अनुरोध किया। स्वामी जी ने श्रीमद्भागवत की कथा की, जो 6 माह तक चली। दोपहर को 2 बजे कथा प्रारंभ होने से पूर्व शंख बजाया जाता जिसकी आवाज पहाड़ियों में गूँजती और लोग अपना सब काम छोड़कर कथा सुनने आ जाते। भोजन बारी-बारी से सबके घर होता था। स्वामी जी बायोकेमिक दवाइयाँ रखते थे और पैदल ही रोगियों के घर जाकर दवाई देते थे।
पूज्य स्वामी जी युग पुरुष हैं। उन्होंने दिगोली ग्राम के लोगों का अंधविश्वास दूर किया, छुआछूत की भवन को दूर करने का प्रयास किया और नारी जाति के उत्थान के लिए विधवा लड़कियों को स्वावलंबी बनाया।
आज उनके शिष्यों ने दिगोली की रामानंद कुटिया ( जहां पर स्वामी रामानंद जी तप, साधना किया करते थे) को एक भव्य तपस्थली के रूप में रूपांतरित कर दिया है। अब जिस कमरे में स्वामी जी ने साधना की थी वहाँ का विस्तार कर दिया गया है जहां बैठकर लगभग 70 साधक जाप/ साधना कर सकते हैं। वर्ष 2022-23 में तपस्थली को विस्तार देते हुए एक नए हॉल का निर्माण कराया गया है जिसमें एक ओर ओपन रसोई की भी व्यवस्था की गई है। चार अन्य कमरे, चार स्नानागार, चार शौचालय पहले से बने हैं । रसोईघर में गैस व बर्तन आदि की समुचित व्यवस्था है। बिस्तर भी लगभग 70 लोगों के लिए हैं। अब यहाँ कैम्प भी लगाए जाते हैं जिसमें लगभग 70 लोग भाग ले सकते हैं जिनके ठहरने की समुचित व्यवस्था है। नीचे नदी के ऊपर पुल भी आने जाने के लिए बन गया है। आगंतुकों के वाहन आश्रम तक सरलता से पहुँच जाते हैं। बिजली व पानी की व्यवस्था भी हो गई है। सभी साधकों के सहयोग से ही यह पुनीत कार्य सम्पन्न हो सके हैं। यहाँ पर पूज्य गुरुदेव की उपस्थिति के स्पंदन साक्षात अनुभव होते हैं।
धन्य है हमारी स्वामी रामानंद तपस्थली।