आगामी साधना शिविर

1. Kanpur Sadhna Shivir (11 October 2025 to 14 October 2025) Place- Society Dharamshala, Behind JK Temple, Pandu Nagar, Kanpur)
2. Bisalpur Sadhna Shivir (13 November to 16 November 2025) Place- Shri Agarwal Sabha Bhawan, Station Road, Bisalpur) Contact No. 9410818880, 9456083610
Note: All the Sadhaks who are planning to participating in the above-mentioned camps should inform the organizers 15 days prior of the camp start date

— हरिद्वार

साधना धाम

हरिद्वार साधना धाम

हमारा प्यारा साधना धाम दिव्य स्पंदनों से ओतप्रोत है। यहाँ परम शांति मिलती है, पूज्य गुरुदेव की उपस्थिति का अनुभव होता है, राम नाम की गुंजार होती रहती है। पत्ते-पत्ते फूल-फूल में राम नाम की ध्वनि सुनाई देती है। बगीचे के हर पेड़ पौधे में राम नाम की ध्वनि सुनाई देती है। बगीचे के हर पेड़ पौधे में राम नाम की मस्ती नजर आती है और उधर घाट पर गंगा की पवन लहरें भी निरंतर राम नाम की तरंगे फैलती हुई बड़ी तीव्र गति से चली जा रही हैं। प्रातः कालीन सूर्य भगवान भी अपनी प्रथम किरणों से पूज्य गुरुदेव के चित्र में चरण स्पर्श करते हैं। ऐसे धाम में जाकर रहने वाले लोग बड़े भाग्यशाली हैं।

हम सबको भाग्यशाली बनाया पूज्य सुमित्रा माँ जी के संकल्प और अनथक प्रयास ने। 1958 में श्री कृष्ण आश्रम में पूज्य गुरुदेव का निर्वाण दिवस कैम्प लगा हुआ था। वहाँ ठहरने एवं सामूहिक जाप की समुचित व्यवस्था नहीं थी। उसी समय साधकों ने विचार किया की अपना धाम होना चाहिए। पूज्य गुरुदेव की असीम कृपया से श्री कृष्ण आश्रम के निकट ही पतित पावनी गंगा के तट पर जमीन देखी गई और सबसे चंदा लेकर उसकी रजिस्ट्री कराई गई। साहू काशीनाथ जी के सहयोग से 12 सदस्यों की एक कमेटी निर्माण कार्य के लिए बनाई गई और उसे “साधना परिवार” के नाम से रजिस्टर कराया गया। कोषाध्यक्ष श्रीमती पद्मावती भण्डारी (स्वामी जी की भाभी जी) बनीं, निर्माण कार्य की देखरेख का काम लिया स्वर्गीय साईंदास ऋषि जी ने।

सन 1961 में पांचवें नवरात्रे के दिन अक्तूबर मास में धाम की नींव रखी गई। ऋषि जी दिन रात निर्माण कार्य की देखभाल में जुटे रहे। शीत, वर्षा, गर्मी का कभी ख्याल नहीं किया। प्रायः बीमार पड़ जाते तो श्री देवकीनंदन जी उनकी सेवा सुश्रुषा करते और हर प्रकार का सहयोग देते।

धीरे-धीरे धाम का मेन गेट भी बन गया। साधना मंदिर 23’x45’ का भी बन कर तैयार हो गया। साधना मंदिर में सिंहासन का निर्माण बहिन कुँवरानी प्रकाशवती ने कर दिया। असंख्य राम-नाम की नींव पर यह सिंहासन बना है। कुछ समय बाद श्री मनोहरलाल ने 500 रुपए देकर घाट का निर्माण कराया। अब तो यह घाट बहुत सुंदर बन गया है, जिसमें स्त्री-पुरुषों के स्नान की अलग-अलग व्यवस्था है। माँ जी के अथक परिश्रम से धाम को सुंदर से सुंदरतम रूप दिया जाने लगा। आँगन में प्लास्टर, बैठने को बेंच फव्वारा आदि बनवाए गए। इस समय धाम में कुल 70 कमरे हैं। लगभग सभी कमरों में रसोईघर तथा बाथरूम बने हैं। साधकों के साहित्य के अलावा अन्य धर्मग्रंथ भी उपलब्ध हैं। मौसम के अनुसार बिस्तरों का भी प्रबंध है। भोजनालय की बहुत अच्छी व्यवस्था है। प्रातः का नष्ट व दोपहर तथा रात्रि का भोजन बहुत शुद्ध व स्वास्थ्यवर्धक मिलता है।

 धाम में प्रतिदिन चार कार्यक्रम का संकल्प लिया। वे सब कार्यक्रम नियमित रूप से आज भी हो रहे हैं। प्रातः का जप ध्यान, गीता क्लास, व्यवहारिक साधना और सायं का जप ध्यान। इसके अतिरिक्त समय-समय पर विशेष त्योहार भी मनाए जाते हैं। अखंड जाप, रामायण पाठ, भागवत कथा आदि होते रहते हैं। वर्ष में चार शिविर लगते हैं – नव वर्ष के आगमन पर प्रति वर्ष विशेष कार्यक्रम होते हैं और साधक स्वामी जी का आशीर्वाद पाकर अपने नव वर्ष के कार्यक्रम आरंभ करते हैं। अप्रैल में गुरुदेव का निर्वाण दिवस, जून में बच्चों का शिविर, जुलाई में गुरु पूर्णिमा, दिसंबर में गुरुदेव का जन्म दिवस शिविर। धाम में वही व्यक्ति ठहर सकते हैं जो साधना की दृष्टि से आते हैं।

आज हम सभी साधना परिवार के अटूट बंधन में बंधे हैं और नए साधक भी परिवार में सम्मिलित हो रहे हैं अपने धाम के कारण और पूज्य गुरुदेव के आशीर्वाद से।